Tuesday, June 18, 2024

गॉलब्लैडर स्टोन का होम्योपैथिक इलाज - डॉ. दीप्तिका होम्योपैथी

 गॉलब्लैडर स्टोन एक सामान्य समस्या है जिसमें पित्ताशय में कठोर पथरी (स्टोन) बन जाती है। यह समस्या ज्यादातर महिलाओं में होती है और दर्द एवं असुविधा का कारण बन सकती है। गॉलब्लैडर स्टोन का पारंपरिक इलाज सर्जरी होता है, लेकिन होम्योपैथी एक प्राकृतिक और प्रभावी विकल्प के रूप में उभर रही है। डॉ. दीप्तिका होम्योपैथी इस समस्या के लिए विशेष होम्योपैथिक उपचार प्रदान करती हैं।

गॉलब्लैडर स्टोन क्या है?

गॉलब्लैडर स्टोन क्या है?

गॉलब्लैडर स्टोन, जिसे पित्ताशय की पथरी भी कहा जाता है, पित्ताशय में बनने वाली ठोस कण होते हैं। ये कण मुख्यतः कोलेस्ट्रॉल या बिलीरुबिन के जमाव से बनते हैं। पित्ताशय एक छोटा अंग होता है जो लिवर के पास स्थित होता है और इसमें पित्त (बाइल) संग्रहित होती है, जो पाचन प्रक्रिया में मदद करती है। जब पित्त में उपस्थित कुछ पदार्थ जमकर ठोस कण बना लेते हैं, तब गॉलब्लैडर स्टोन का निर्माण होता है। यह समस्या अक्सर बिना किसी लक्षण के हो सकती है, लेकिन कभी-कभी यह पेट में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी और पाचन में कठिनाई का कारण बनती है।

गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण

  1. पेट के ऊपरी दाएं भाग में दर्द

  2. जी मिचलाना और उल्टी

  3. पाचन में कठिनाई

  4. बुखार और पसीना आना

होम्योपैथिक इलाज के फायदे

  1. प्राकृतिक उपचार: होम्योपैथी में प्राकृतिक और बिना किसी साइड इफेक्ट्स के उपचार होता है।

  2. समग्र दृष्टिकोण: यह इलाज व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।

  3. लंबे समय तक लाभ: होम्योपैथिक इलाज से गॉलब्लैडर स्टोन की पुनरावृत्ति की संभावना कम हो जाती है।

डॉ. दीप्तिका का होम्योपैथिक उपचार

डॉ. दीप्तिका होम्योपैथी में गॉलब्लैडर स्टोन के इलाज के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं। उनके उपचार में निम्नलिखित कदम शामिल होते हैं:

  1. व्यक्तिगत निदान: मरीज की पूरी चिकित्सा और व्यक्तिगत इतिहास की समीक्षा की जाती है।

  2. व्यक्तिगत उपचार योजना: प्रत्येक मरीज के लिए विशेष उपचार योजना बनाई जाती है जो उनके लक्षणों और शारीरिक स्थिति के आधार पर होती है।

  3. नियमित निगरानी: उपचार के दौरान मरीज की प्रगति की नियमित निगरानी की जाती है और आवश्यकतानुसार उपचार योजना में बदलाव किया जाता है।

उपचार प्रक्रिया

  1. प्रारंभिक परामर्श: मरीज की पूरी चिकित्सा और व्यक्तिगत इतिहास का अध्ययन।

  2. उचित दवाओं का चयन: मरीज के लक्षणों और स्थिति के आधार पर होम्योपैथिक दवाओं का चयन।

  3. अनुपालन और निगरानी: दवाओं का नियमित सेवन और उपचार की प्रगति की निगरानी।

सामान्य होम्योपैथिक दवाएं

  1. लाइकोपोडियम: दाईं तरफ दर्द के लिए

  2. कार्डस मायरियाना: पाचन संबंधित समस्याओं के लिए

  3. चेलिडोनियम: पित्ताशय के दर्द के लिए

सलाह और सुझाव

  1. स्वस्थ आहार: तेलीय और फैटी खाने से परहेज करें।

  2. व्यायाम: नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें।

  3. पानी का सेवन: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

निष्कर्ष

गॉलब्लैडर स्टोन के इलाज के लिए होम्योपैथी एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। डॉ. दीप्तिका होम्योपैथी में गॉलब्लैडर स्टोन के इलाज के लिए व्यापक और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, जिससे मरीज को लंबे समय तक राहत मिलती है। यदि आप गॉलब्लैडर स्टोन से पीड़ित हैं और प्राकृतिक उपचार की तलाश में हैं, तो डॉ. दीप्तिका होम्योपैथी से संपर्क करें और स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम बढ़ाएं।

संपर्क करें: 7652005589।

डिस्क्लेमर

यह ब्लॉग केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसका उद्देश्य चिकित्सा सलाह का स्थान नहीं लेना है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कृपया योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। होम्योपैथिक उपचार के परिणाम व्यक्ति पर निर्भर करते हैं और यह आवश्यक है कि आप किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करें। डॉ. दीप्तिका होम्योपैथी द्वारा दी जाने वाली जानकारी और सेवाएं केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं और इन्हें चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।


Wednesday, June 12, 2024

The Top 5 Homeopathic Medicines for Autism: A Comprehensive Guide

Autism Spectrum Disorder (ASD) is a complex neurodevelopmental condition characterized by challenges with social interaction, communication, and repetitive behaviors. While there's no single cure for autism, various approaches aim to manage symptoms and improve overall well-being. Homeopathy offers a natural option alongside conventional therapies, sparking interest in its potential benefits.

Signs and Symptoms

Early signs of autism may appear in the first few years of life. Common symptoms include:

  • Difficulty with social interaction and communication: Children with ASD may struggle with making eye contact, understanding facial expressions, engaging in reciprocal conversations, and expressing their needs.

  • Repetitive behaviors and interests: Repetitive movements like flapping hands, lining up objects, or intense focus on specific topics are characteristic of ASD.

  • Sensory sensitivities: Individuals with ASD may be overly sensitive to sounds, textures, lights, or tastes, making everyday experiences overwhelming.

  • Restricted interests and activities: Children with ASD may have a strong fascination with a particular subject or activity, excluding others.

Causes

The exact cause of autism remains unknown, but research suggests a combination of genetic and environmental factors may play a role. Some potential contributors include:

  • Genetics: A family history of autism increases the risk of a child developing the condition.

  • Environmental factors: Exposure to certain environmental toxins during pregnancy or early childhood might be a risk factor.

  • Brain development: Differences in brain structure and function may contribute to autism symptoms.

Treatment

Conventional therapies for autism primarily focus on managing symptoms and improving skills. These include:

  • Applied behavior analysis (ABA): This therapy uses positive reinforcement to teach essential skills like communication and social interaction.

  • Speech therapy: Speech therapists help improve communication skills, including verbal expression, understanding language, and social communication.

  • Occupational therapy: Occupational therapists assist children with autism in developing daily living skills like dressing, eating, and self-care.

Homeopathy Medicine for Autism

Homeopathy offers a natural approach to potentially address underlying imbalances and improve symptoms associated with autism. Here's a look at five commonly used homeopathic medicines for autism:

  1. Calcarea Carbonica: This remedy is often used for children with anxiety, fear of strangers, and a preference for routine. It may be helpful for those with autism who exhibit shyness, clinginess to caregivers, and difficulty adapting to changes.

  2. Stramonium: This remedy is considered for children with hyperactivity, aggression, and sensitivity to light and noise. It may be beneficial for individuals with autism who experience sudden outbursts, fearfulness, and heightened sensory sensitivities.

  3. Chamomilla: This remedy is known for its calming effect and may be helpful for irritable children who are easily frustrated and prone to tantrums. It may benefit those with autism who exhibit anger, crying spells, and difficulty expressing their needs calmly.

  4. Silicea: This remedy is often used for children with low self-esteem and a tendency to get hurt easily. It may be beneficial for individuals with autism who are withdrawn, shy, and have difficulty interacting with others.

  5. Pulsatilla: This remedy is considered for children who are clingy, tearful, and easily upset by changes. It may be helpful for those with autism who experience separation anxiety, sadness, and a strong desire for comfort.

Dr. Deepika Singh Says

Dr. Deepika Singh, a renowned homeopathic practitioner, emphasizes, "Homeopathy can be a valuable tool in managing autism symptoms. Homeopathic medicines may address underlying imbalances and potentially improve social interaction, communication, or focus, consulting a healthcare professional for a comprehensive autism management plan is essential."

Important Considerations

  • Individualized Approach: Homeopathic medicine for autism requires a personalized approach. A qualified homeopathic practitioner will consider the child's specific symptoms, personality traits, and medical history when selecting the most suitable remedy.

  • Limited Research: While some studies suggest potential benefits of homeopathy for autism, further scientific research is needed to establish its definitive efficacy.

  • Complementary Treatment: Homeopathic medicine for autism is often used alongside conventional therapies for optimal results.

Conclusion

Autism is a complex condition, and managing it requires a multifaceted approach. Homeopathy treatment for autism offers a natural option that may complement conventional therapies, potentially improving symptoms and enhancing overall well-being. Remember, consulting a healthcare professional for diagnosis and discussing homeopathy with a qualified practitioner is crucial. By combining various approaches, individuals with autism can experience significant improvements in their quality of life.

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Tuesday, June 11, 2024

पथरी के लक्षण और उपाय: Kidney Stone Symptoms in Hindi

 

पथरी के लक्षण और उपाय: Kidney Stone Symptoms in Hindi

पथरी के लक्षण: Kidney Stone symptoms

पथरी, जिन्हें किडनी स्टोन भी कहा जाता है, कठोर जमा होते हैं जो किडनी में बनते हैं। ये खनिजों और लवणों से बने होते हैं जो मूत्र में ठोस पदार्थों में क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं। पथरी आकार में छोटे रेत के दाने से लेकर बड़े गोल्फ की गेंद तक हो सकते हैं।

पथरी के लक्षण आमतौर पर तब दिखाई देते हैं जब पथरी मूत्रवाहिनी (ureter) से गुजरने का प्रयास करती है, जो किडनी से मूत्राशय तक मूत्र ले जाती है। पथरी के लक्षणों में शामिल हैं:

  • तेज दर्द: पथरी का दर्द अचानक, तेज और तीव्र हो सकता है। यह पीठ के निचले हिस्से, पेट के किनारे या कमर में हो सकता है। दर्द लहरों में आ सकता है और कई मिनट या घंटों तक रह सकता है।

  • पेशाब करते समय जलन या दर्द: पथरी मूत्रवाहिनी में जलन पैदा कर सकती है, जिससे पेशाब करते समय दर्द या जलन हो सकती है।

  • बार-बार पेशाब आना: पथरी मूत्राशय को परेशान कर सकती है, जिससे आपको बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता हो सकती है, भले ही आपके पास मूत्र न हो।

  • पेशाब में खून: पथरी मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को घायल कर सकती है, जिससे पेशाब में खून आ सकता है।

  • मतली और उल्टी: पथरी तीव्र दर्द और बेचैनी पैदा कर सकती है, जिससे मतली और उल्टी हो सकती है।

  • पेट फूलना: पथरी आंतों को परेशान कर सकती है, जिससे पेट फूलना हो सकता है।

महिलाओं में पथरी के लक्षण

महिलाओं में, पथरी के लक्षण पुरुषों के समान ही हो सकते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं को अतिरिक्त लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे:

  • योनि में दर्द या जलन

  • पेशाब करने में कठिनाई

  • यौन संबंध के दौरान दर्द

किडनी में स्टोन होने से क्या दिक्कत होती है?

पथरी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • मूत्रवाहिनी में रुकावट: पथरी मूत्रवाहिनी को पूरी तरह से या आंशिक रूप से रोक सकती है, जिससे मूत्र का प्रवाह रुक सकता है। यह किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।

  • गुर्दे में संक्रमण: पथरी मूत्र में बैक्टीरिया के जमा होने के लिए एक स्थान प्रदान कर सकती है, जिससे गुर्दे में संक्रमण (pyelonephritis) हो सकता है।

  • गुर्दे की क्षति: गंभीर मामलों में, पथरी स्थायी रूप से गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकती है।

किडनी में पथरी हो तो क्या करना चाहिए?

यदि आपको पथरी का दर्द हो रहा है, तो कुछ चीजें हैं जो आप घर पर कर सकते हैं:

  • गर्म सेंप (सेक) लगाएं: अपने पीठ के निचले हिस्से या पेट पर गर्म सेंप लगाने से मांसपेशियों को ढीला करने और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।

  • पानी खूब पीएं: खूब सारा पानी पीने से पथरी को मूत्रवाहिनी से बाहर निकालने में मदद मिल सकती है।

  • आराम करें: आराम करने और दर्द कम करने की कोशिश करें।

पथरी किसकी कमी से होती है?

पथरी आमतौर पर शरीर में कैल्शियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड के असंतुलन के कारण बनती है।

  • कैल्शियम की कमी: जरूरी नहीं कि कैल्शियम की कमी से पथरी होती है। असल में, बहुत कम कैल्शियम का सेवन भी पथरी का कारण बन सकता है।

  • पानी की कमी के कारण: यदि पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पिया जाता है, तो मूत्र गाढ़ा हो सकता है, जिससे पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है।

  • अधिक नमक का सेवन: अधिक नमक का सेवन शरीर से कैल्शियम के उत्सर्जन को बढ़ा सकता है, जिससे पथरी का खतरा बढ़ जाता है।

  • कुछ खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन: कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि पालक, चुकंदर और अजवाइन, ऑक्सालेट में उच्च होते हैं, जिससे पथरी का खतरा बढ़ सकता है।

  • प्रोटीन युक्त आहार: ज्यादा मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार खाने से यूरिक एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है, जो कुछ प्रकार की पथरी का कारण बन सकता है।

पथरी को गलाने के लिए क्या खाना चाहिए?

कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ पथरी को रोकने या निकालने में मदद कर सकते हैं:

  • पानी: पहले बताए अनुसार, खूब सारा पानी पीना जरूरी है।

  • नींबू का रस: नींबू का रस पेशाब को अधिक अम्लीय बना सकता है, जो कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी को रोकने में मदद कर सकता है।

  • संतरे का रस: संतरे का रस साइट्रेट से भरपूर होता है, जो कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी को बनने से रोक सकता है।

  • सेब का सिरका: सेब का सिरका पेशाब को अधिक अम्लीय बना सकता है और पथरी को तोड़ने में मदद कर सकता है।

क्या पथरी जानलेवा हो सकती है?

आमतौर पर पथरी जानलेवा नहीं होती है। हालांकि, गंभीर मामलों में, पथरी किडनी को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है या मूत्र संक्रमण का कारण बन सकती है। यदि आपको तीव्र दर्द, बुखार, या पेशाब करने में कठिनाई हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

कौन सा टेस्ट किडनी स्टोन दिखाता है?

डॉक्टर पथरी का पता लगाने के लिए कई तरह के परीक्षणों का उपयोग कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मूत्र परीक्षण: यह परीक्षण पेशाब में रक्त या संक्रमण के संकेतों की जांच करता है।

  • रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण रक्त में कैल्शियम, यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन के स्तर की जांच कर सकते हैं।

किडनी स्टोन की होम्योपैथिक दवा और इलाज : डॉ दीपिका सिंह

डॉ दीपिका सिंह, एक जानी-मानी होम्योपैथिक चिकित्सक, कहती हैं, "जबकि पथरी के दर्द का प्रबंधन प्राथमिक उपचार हो सकता है, होम्योपैथी उपचार दीर्घकालिक रूप से पथरी को बनने से रोकने में सहायक हो सकती है। हालांकि, गंभीर दर्द या लगातार लक्षणों के मामले में, पारंपरिक उपचार आवश्यक है। एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक आपकी व्यक्तिगत जरूरतों के अनुरूप उपचार योजना तैयार कर सकता है।"

डॉ दीपिका सिंह नोएडा में एक प्रसिद्ध होम्योपैथी विशेषज्ञ हैं, और होम्योपैथी के लिए नोएडा में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग में भी शामिल हैं।
यदि आप उनसे परामर्श करना चाहते हैं, तो हमें इस नंबर पर कॉल करें: 7652005589

डॉ दीपिका सिंह से बात करने के लिए यहाँ क्लिक करें

अस्वीकरण: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किडनी की पथरी के किसी भी लक्षण का अनुभव होने पर योग्य चिकित्सक से परामर्श करें।

संदर्भ: https://en.wikipedia.org/wiki/Kidney_stone_disease



पाइल्स के लक्षण क्या हैं और उनका उपचार कैसे किया जा सकता है?

 बवासीर, जिसे अंग्रेजी में "piles" कहा जाता है, गुदा और मलाशय में सूजन वाली शिराओं का एक समूह है। यह एक आम समस्या है जो पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करती है।

पाइल्स के लक्षण क्या हैं और उनका उपचार

बवासीर के लक्षणों में शामिल हैं:

  • मलाशय में खुजली या जलन: यह बवासीर का सबसे आम लक्षण है।

  • मल त्याग के दौरान या बाद में खून बहना: खून की मात्रा थोड़ी या अधिक हो सकती है।

  • मलाशय में गांठ: यह गांठ मलाशय के अंदर या बाहर हो सकती है।

  • मल त्याग में दर्द: यह दर्द मल त्याग के दौरान या बाद में हो सकता है।

  • मल त्याग में कठिनाई: मल त्याग कठिन या अधूरा हो सकता है।

  • मलाशय से चिपचिपा या बलगम का स्राव: यह मल त्याग के बाद हो सकता है।

बवासीर का उपचार कई तरीकों से किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • घरेलू उपचार: कुछ घरेलू उपचार, जैसे कि बर्फ लगाना, सिट्ज़ बाथ लेना, और फाइबर युक्त आहार लेना, बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

  • दवाएं: ओवर-द-काउंटर दवाएं, जैसे कि दर्द निवारक और खुजली-रोधी दवाएं, बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।

  • मेडिकल प्रक्रियाएं: यदि घरेलू उपचार या दवाएं काम नहीं करती हैं, तो आपका डॉक्टर बवासीर को हटाने के लिए एक मेडिकल प्रक्रिया की सिफारिश कर सकता है।

पाइल्स का पता कैसे लगाएं?

यदि आप बवासीर के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। आपका डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षण करेगा और मलाशय का परीक्षण करने के लिए एक एनोस्कोप का उपयोग कर सकता है।

बवासीर के शुरुआती लक्षण कैसे होते हैं?

बवासीर के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

  • मलाशय में खुजली या जलन: यह सबसे आम शुरुआती लक्षण है।

  • मल त्याग के दौरान या बाद में खून बहना: खून की मात्रा थोड़ी या अधिक हो सकती है।

  • मलाशय में गांठ: यह गांठ मलाशय के अंदर या बाहर हो सकती है।

पाइल्स को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?

बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए, आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और उनके द्वारा सुझाए गए उपचार का पालन करना चाहिए। इसके अलावा, आप कुछ घरेलू उपचार भी आजमा सकते हैं, जैसे कि बर्फ लगाना, सिट्ज़ बाथ लेना, और फाइबर युक्त आहार लेना।

पाइल्स का मुख्य कारण क्या है?

बवासीर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • कब्ज: कब्ज से मल त्याग के दौरान दबाव बढ़ सकता है, जिससे बवासीर हो सकती है।

  • मोटापा: मोटापे से पेट में दबाव बढ़ सकता है, जिससे बवासीर हो सकती है।

  • गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान, शिशु का आपके पेट पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे बवासीर हो सकती है।

  • उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने के साथ, मलाशय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे बवासीर होने की संभावना बढ़ सकती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और किसी भी तरह से चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। यदि आप बवासीर के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना



बवासीर से बचाव के उपाय (How to Prevent Piles)

कुछ जीवनशैली में बदलाव करके आप बवासीर के जोखिम को कम कर सकते हैं:

  • फाइबर युक्त आहार लें: फाइबर युक्त आहार मल को नरम रखने में मदद करता है, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है। फलों, सब्जियों, और साबुत अनाजों में फाइबर भरपूर होता है।

  • पानी खूब पीएं: पर्याप्त तरल पदार्थ पीने से मल को नरम रखने में मदद मिलती है।

  • नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम मल त्याग को नियमित करने में मदद करता है और वजन कम करने में भी सहायक होता है।

  • शौचालय का उपयोग करने की इच्छा को नजरअंदाज न करें: शौचालय का उपयोग करने की इच्छा को रोकने से मल सख्त हो सकता है और बवासीर का खतरा बढ़ सकता है।

  • शौचालय पर ज्यादा जोर न लगाएं: शौचालय पर जोर लगाने से मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ सकता है।

  • वजन कम करें: यदि आप अधिक वजन के हैं, तो वजन कम करने से बवासीर का खतरा कम हो सकता है।

  • लंबे समय तक बैठने से बचें: लंबे समय तक बैठने से मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ सकता है। यदि आपका काम आपको लंबे समय तक बैठने की आवश्यकता है, तो नियमित रूप से उठकर थोड़ा चलने की कोशिश करें।

पाइल्स treatment: बवासीर एक आम समस्या है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इससे पीड़ित होना ही है। यदि आप बवासीर के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो जल्दी से अपने डॉक्टर से मिलें और उपचार कराएं। साथ ही, अपने जीवनशैली में बदलाव करके आप बवासीर के जोखिम को कम कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

डॉ दीपिका सिंह, एक जानी-मानी होम्योपैथिक चिकित्सक, कहती हैं, "बवासीर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें। होम्योपैथिक उपचार दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही साथ जटिलताओं को रोकने में भी सहायक हो सकते हैं। अपने डॉक्टर से परामर्श करें और आपके लिए सबसे उपयुक्त उपचार योजना निर्धारित करें।"

संपर्क नंबर: 7652005589


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कृपया ध्यान दें: बवासीर का निदान और उपचार एक योग्य चिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए। उपचार का निर्णय लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें। होम्योपैथी सहित किसी भी नए उपचार को शुरू करने से पहले, योग्य होम्योपैथ से परामर्श लें।



Symptoms of Piles | Dr. Deepika Homeopathy

Piles, medically known as hemorrhoids, are swollen veins in the anal and rectal areas that cause significant discomfort. Piles can affect in...